एक गाव मे एक भूतिया हवेली जो 1856 मे श्रापित हो गई थी
एक सुनसान और छायादार रात की बात है, जब एक हवेली 1856 मे श्रापित हो गई थी
गाव वालों का मानना थी की उसमे एक चुड़ेल का बास है |
जब एक छोटे से गाँव में एक अजीब और भूतिया हवेली खड़ी थी।
गाँववाले उसे "भूतिया हवेली" कहकर डरते थे
और रात को वहां जाने से बचते थे।
लेकिन एक रात, गाँव के एक नौजवान ने दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद हवेली का पता किया।
उस रात, उसने अपने दोस्तों को साथ लिए और हवेली की ओर बढ़ा। धुंधली रोशनी में, हवेली का बड़ा दरवाजा अचानक खुला, और वे अंदर गए। वहां अचानक से सुनसान हवा में एक अजीब सी आवाज सुनाई दी - कहीं किसी के पैरों की आहट, कहीं किसी की हँसी।
वे बड़े आतुरी से आगे बढ़े, हर कदम पर उनका दिल जोर से धड़क रहा था। एक कमरे का दरवाजा खुला, और उन्होंने अचेतना एक लड़की को देखा, जो उन्हें बुलाने के लिए हँस रही थी। उसकी आंखों में अजीब सी चमक थी, और वह लड़की उनसे बोली - "तुम्हें यहाँ कैसे पहुंचा?"
वे लड़की के साथ बातचीत करने लगे, और उसने बताया कि वह एक समय की रूपांतरित है, जो इस हवेली में अच्छी तरह से बिता रही है। वह उन्हें हवेली की कहानी सुनाने लगी - इसमें भूत, प्रेत, और एक अजीब सी शक्ति के बारे में था।
धीरे-धीरे, उन्हें यह अंदाज हो गया कि यह लड़की एक बहुत शक्तिशाली रूह थी, जो अपनी भूतिया हवेली में अकेले रह रही थी। वह गाँववालों की भूतिया हवेली के खिलाफ धाराप्रवाह की अफवाहों को रोकने के लिए यह सब कुछ कर रही थी।
उन्होंने लड़कियों की मदद से गाँववालों को समझाया, और भूतिया हवेली को एक नए पहचान दी। इसके बाद, गाँववाले हवेली में आना-जाना शुरू कर दिये और उनमें नई रौनक आ गई।
इस कहानी से सिख है कि किसी भी चीज़ की सच्ची स्वभाव को समझने के लिए हमें उससे मिलना चाहिए, बिना उसके बारे में गलत धारणाएँ बनाए।
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